Thursday, 25 May 2017

मेरी जीवन लीला के अंत की कहानी ( वो पन्द्रह मिनट ) #save the girl child movement india by KotaRJPawan


क्या आपके पास   5 मिनट है

गर्भ की वह मासूम बच्ची अभी दस सप्ताह की थी काफी चुस्त थी हम उसे अपनी कोख मे खिलते करवट बदलते अंगूठा चूसते हुए देख रहे थे उसके दिल की धड़कनो को हम देख पा रहे थे  और उस समय 120 की साधारण गति सेसे धड़क रही थी सब कुछ सामान्य था किंतु जैसे पहले ओजार (सक्सन पम्प ) ने गर्भाशय की दीवार  को छुआ तो वह मासूम बच्ची डर से एकदम घूमकर सिकुड़ गयी और उसके दिल की धड़कन बढ गयी हालांकि अभी तक किसी औजार ने बच्ची को छुआ भी नही था लेकिन उसे अनुभव हो गया था कि कोई चीज उसके आरामदेह बिछौने सुरक्षित क्षेत्र पर हमला करने का प्रयास कर रहे है

हम दहशत से भरे माहौल मे सब देख रहे थे किस तरह औजार उस नन्ही बच्ची मासूम सी गुडिया सी बच्ची के टुकड़े-टुकड़े कर रहा था पहले कमर फिर पैर ऐसे ही अन्य भागो के टुकड़े कर रहा था

जैसे वह जिंदा प्राणी न होकर कोई सब्जी तरकारी हो

और वह बच्ची पीड़ा से छटपटाती हुई सिकुड़ कर घूम घूम कर तड़पती हुई इस हत्यारे औजार से बचने का प्रयास कर रही थी वह इतने बुरी तरह डर गयी थी कि एक समय उसकी धड़कन 200 पार कर गई
मेने स्वयं अपनी आखो से उसको अपना सिर पीछे झटकते हुए वह मुंह खोलकर चीखने का प्रयत्न करते हुए देखा था
अंत मे हमने वह नृशंस हत्या का मंजर भी देखा
जंहा संडासी उसकी खोपड़ी को तोड़ने के लिए तलाश रहा था
फिर दबाकर उस कठोर खोपड़ी को तोड़ रहा था क्योंकि सिर का वह हिस्सा बगैर तोडे सक्सन ट्यूब के सहारे बाहर नही निकाला जा सकता है

हत्या के इस वीभत्स खेल को सम्पन्न होने मे करीब 15 मिनट लगे
इस दर्दनाक दृश्य का अनुमान इससे अधिक और केसे लगाया जाता कि जिस डाक्टर ने यह गर्भपात करवाया था और जिसने कोहतुल मात्र इसकी फिल्म बनवायी ली थी
उसने जब स्वंय इस फिल्म को देखा तो अपना अस्पताल छोड़कर चला गया और फिर नही आया वापस लौटकर
Join save the girl child movement india
Thx team Stgcmi

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