Sunday 30 July 2017

अगर आप सहमत है तो पोस्ट को शेयर करना न भूले यूथ पेरेंटिंग है किसी भी सोशल प्रोब्लम का हल- कोटा आर.जे पवन


यूथ पेरेंटिंग है किसी भी सोशल प्रोब्लम का हल- कोटा आर.जे पवन

इंडिया के यंगेस्ट मोटिवेशनल स्पीकर &फाउंडर सेव द गर्ल चाइल्ड मूवमेंट इंडिया  पवन ने पूरा लेख लिखकर इस बात की पुष्टि की है
आइए मोलिक लेख देखे
किसी समय अलग अलग कार्यशालाए करके किसी सोशल प्रोब्लम को सुलझाने की कोशिश की जाती थी अब भी यह फार्मूला कारगर है लेकिन मानक बदल गये है  क्योंकि इस युवा देश मे युवाओ की संख्या बढी तो है लेकिन पार्टिसिपेसन घट सा गया है हर क्षेत्र मे चाहे वो सोशल प्रोब्लम हो या जाॅब बिजनेस
क्योंकि मोदी जी भी यही चाहते है जाॅब आप न तलाशे बल्कि जाॅब दूसरे को दे तभी तो युवाओ की किर्टिविटी सामने आयेगी बात मे दम तो है लेकिन इसके क्रियान्वयन मे कई झोल है
युवा वर्ग की दो ही समस्या है नौकरी और सोशल लाइफ स्टाइल को बदल पाना पर युवा इस बात से अनजान है कि जिस दिन आपने अपनी सोशल लाइफ स्टाइल अच्छी कर ली तब नौकरी कोई बड़ी समस्या नही क्योंकि लाइफ स्टाइल से मेरा मतलब खुद को स्किल्ड बनाने से है सरकार कई बार स्किल इंडिया प्रोग्राम को सारे राज्यो मे लांच कर चुकी है पर वो केवल 1-2 जगह पर सफल हो पाई है
स्किल का एक महत्वपूर्ण भाग मेरे हिसाब से सोशल मुददो को सुलझाना भी है पर घटते पार्टिसिपेसन से ये मुददे बोरिंग हो गए है
कोई युवा अब सोशल मुददो पर सोल्यूशन देना तो दूर की बात पर शामिल होना भी नही चाहते क्योंकि 80% पार्टिसिपेसन तो युवाओ का होना चाहिए पर इस स्ट्रेसफुल लाइफ मे समय कहा है युवाओ के पास
और हमारी सोसायटी पर कम उम्र के युवा की बाते सुनने और राय लेने को अब तक भी इज्जत या साख गिरना माना जाता है । और कई जगह तो बोलने ही नही दिया जाता है
और सबसे बडी परेशानी आपको अगर आने वाली भविष्य की पीढ़ी को सोशल प्रोब्लम से जोड़ना है तो उनके जेसै सोचना होगा और उन विचारो को एग्जीक्यूटकेट भी एक युवा ही करे और युवाओ को अपनी राय देने का अधिकार हो
युवाओ की समाज मे भागीदारी बढानी है उन्हे अनसोशल बनने से रोकना है तो यूथ पेरेंटिंग हो सकता है  किसी भी सोशल प्रोब्लम का सोल्यूशन
क्योंकि समाज मे सोच युवा है तो विचार युवा क्यो न हो
कभी मे भी पंछी जैसे आकाश मे उडूगा बात  को लोग बचकाना मानते थे पर ये आज पॉसिबल है और ये बच्चा आज इस विश्व के बदलाव का भागीदारी है
यूथ पेरेंटिंग मे यूथ के  न शामिल होने का कारण सबसे पहले पैसा होता है क्योंकि आजकल घर से बाहर निकलने के लिए भी पैसे चाहिए व दूसरी बात समाज के लिए समय का नही होना
क्योंकि उन्हे बचपन से ही समझा दिया जा है कि समाज के बड़े मुददो पर कोई भी निर्णय केवल बड़े ही लेंगे और उसमे आप अपनी राय भी नही दे सकते
तो मुझे क्या मतलब है इस समाज से बस सीढी को चढते  रहो और बाद मे बुरे बदलाव के लिए युवाओ को दोषी ठहराते रहो
कन्या भ्रूण हत्या बेरोजगारी जेन्डर इश्यू आतंकवाद देश का भला इनके बारे मे अगर सही सोल्यूशन निकालना है तो यूथ को हर राय मे शामिल करना होगा क्योंकि इसका एक प्लेटफार्म हमारे पास है यूथ पेरेंटिंग के जरिए समाज के बदलाव का हिस्सा खुद युवा बने और रही बात पैसो की तो आपने  कितने सीईओ कम उम्र के देखे होंगे जिनमे मार्क जुकरबर्ग भी एक है समाज के लिए समय न होने के बहाने को बदलने के लिए केवल पुरानी सोच का खात्मा करे
फिर देखिए बडो की सोच व सपोर्ट से युवा इस देश मे क्या परिवर्तन लाते है कैसे कैसे सामाजिक परिवर्तन लाते है
मै तो निकल चुका हू अपने देश को बदलने आप भी जुड़े इस अभियान से जिसका नाम है
Why we are creating imbalance
#stgcmi save the girl child movement India
Golden statement
भावी पीढ़ी को मौजूदा सामाजिक समस्याओ के बारे मे जागरूक करके उन्हे उनके समाधान ढूंढने के लिए जगाना ही यूथ पेरेंटिंग है
और ये बदलाव ही नही लाती लाती है तो क्रान्ति
क्रान्ति किसी भी चीज को सदा के लिए बदल देने की
                                         कोटा आर.जे पवन
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