Gomti Express aur vo
कहानी -गोमती एक्सप्रेस और वो
मैं अपने अपने रिजर्वेशन की अपनी सीट d-27 पर आ चुका था नई दिल्ली स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 8 पर खड़ी गोमती एक्सप्रेस में न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन के लगातार अनाउंसमेंट के बीच मुझे अचानक अच्छा नहीं लगा कि मेरी सीट विंडो सीट मिडिल सीट ना होकर साइड सीट थी ट्रेन को चलने में करीबन 5 मिनट बाकी थे मैंने सोचा अभी तो मैं विंडो cd25 पर बैठ जाता हूं और ईयर फोन plug-in करके रोमांटिक कलेक्शन ऑनलाइन सुन रहा था तभी अचानक एक आवाज आई एक्सक्यूज मी दिस इज माय सीट अरिजीत सिंह के गाने से ध्यान हटा तो मैं बोला जी बिल्कुल आइए बैठिए ऐसे कहते हुए में अपनी साइड वाली सीट पर जा बैठा बाकी बीच की सीट मैं मैडम ने अपना बैग रखा और विंडो सीट पर जा बैठी पहले मैंने ढंग से नहीं देखा था शायद मुझे झपकी आ गई थी म्यूजिक सुनते सुनते मैंने देखा कि एक अधेड़ उम्र का शख्स उस प्यारी सी लड़की को सी ऑफ करने आया था और वह तब तक खड़ा रहा जब तक ट्रेन नहीं चल गई आखिर का ट्रेन चली और मैंने पहली बार उसे ध्यान से देखा लगा शायद इससे मैं पहले मिल चुका हूं ट्रेन अपनी स्पीड पर थी यह चेयर यान कोच था मैंने कहा आप अपना बैग ऊपर लगेज सेल्फ में डाल दे मेरा भी बैग वही रखा है उसने मना किया और वोअपनी धुन में मस्त हो गई मैं भी म्यूजिक के साथ व्यस्त हो गया और मुझे थोड़ी नींद भी आने लगी जब भी नींद खुलती तो एक आध नजर उन मोहतरमा पर भी पड़ जाती नजर पड़ते पड़ते लगता कैन आई नो यू बट में वापस सो जाता तभी अचानक गाजियाबाद स्टेशन पर भीड़ चढ़ी उसमें से एक बुजुर्ग ने मुझसे बैठने को कहा मैंने कहा यह रिजर्व कोच है आपकी सीट कौन सी है उन्होंने कहा बेटा मुझे दो स्टेशन दूर ही जाना है जनरल कोच में बड़ी भीड़ है मैंने कहा ठीक है बेटे मैं सीट नंबर 26 यानी कि मिडिल बर्थ पर बैठ गया और वह बुजुर्ग मेरी सीट पर बैठ गए थोड़ी देर ताका झांकी करने के बाद मैंने पूछा कि एग्जाम देकर आ रहे हो उसने कहा हां नेट का मैंने कहा हां मैं भी एग्जाम देकर आ रहा हूं पर दूसरा वह भी मेरे ही एजुकेशनल फील्ड से ही थी तो बात कंसर्न सब्जेक्ट पर चली गई और बातें होने लगी बातों बातों में पता चला कि जो उस लड़की को छोड़ने आए थे वह उसके जीजा जी थे वह दिल्ली में रहते हैं और वह भी लखनऊ जा रही है मैंने कहा ग्रेट मैं भी वहीं तक जा रहा बहुत से कंसर्न सब्जेक्ट की बातें करने के बाद भी मुझे मुझसे इतनी हिम्मत नहीं हुई कि उससे उसका नाम पूछ लूं चलो कोई ना कम से कम बात तो हो रही थी बातें खत्म होती जा रही थी और लखनऊ की दूरी भी इस दौरान मुझे पता चला कि आज उस लड़की का निर्जला व्रत है जिसमें पानी नहीं पी सकते जब मैंने उसे पानी ऑफर किया तब यह पता चला पहले तो मुझे लगा कि यह केवल रेजिस्ट करने के लिए कह रहे होगी परंतु 4 घंटे के बाद भी पानी नहीं पीने के बाद मुझे लगा कि यह सच ही होगा उस दिन बहुत उमस थी सितंबर महीना था और धूप खिड़की से सीधे आ रही थी और उसके चेहरे से तकलीफ साफ झलक रही थी पर मैं कर भी क्या सकता था दिल तो चाहता था कि दोनों हाथों से धूप को पकड़ लूं और उसके प्यारे से चेहरे तक उसकी गर्मी पहुंचने ही ना दूं पर ऐसा कैसे होता तभी आगे वाली रो में बैठी महिलाओं ने एक स्टॉल अपनी खिड़की पर कर्टन हूक के सहारे लगाई वो लूज थी तो मैंने खींच कर पीछे कर दी अब धूप सीधे चेहरे तक नहीं आ रही थी तभी बीच-बीच में उसके जीजा जी वह पापा जी के फोन आ रहे थे क्योंकि वह पहली बार ट्रेन में अकेले सफर कर रही थी ट्रेन अपने टाइम से लेट थी जो अक्सर इंडियन रेलवे में होता है मैंने कहा आप कब तक पानी पीयेगे उसने कहा जब चांद निकलेगा तब ऐसा लगा जैसे एक चांद दूसरे चांद का इंतजार कर रहा हूं और था भी ऐसा ही मैंने गूगल से मून निकलने का टाइम नासा के सोर्स से बताया क्योंकि बादल छाए थे बरसने का इंतजार था धीरे-धीरे यह वार्ता गंभीर होने लगी अब लगने लगा कि वह भी कंफर्टेबल फील कर रही है लगा कि अब मैं बात कर सकता हूं वह भी कंफर्टेबल होके मैंने कहा चलो ऑनलाइन बॉलीवुड फिल्म ही देख लेते हैं कुछ टाइम तो कट जाएगा और उसने हामी भर दी मुझे लगा कि आज तो जन्नत मिल ही गई लगाके ईयर फोन अपने कान में हमने दूसरा कान का इयरफोन उनको आफर किया लगा जैसे एक फोन 2 ईयर फोन फिल्म देखते देखते कब उसकी जुल्फें मेरे चेहरे को छू गई उसे पता ही नहीं चला ट्रेन की विंडो से आती हवा से वह मेरे चेहरे पर ऐसे आ जाते जैसे उन जुल्फों के बाप का अधिकार हो मेरे चेहरे पर आना खैर जैसे ही जुल्फें मेरे चेहरे को छूती मेरे पूरे तन बदन में एक अजीब सी हलचल हो जाती पर भाई कंट्रोल में था फिर अचानक फिल्म में कुछ सेंसिटिव सीन आए और मैंने उसके चेहरे की ओर देखा उसकी मुस्कान सब बयां कर रही थी मैं धीरे-धीरे उसके कंधों पर कब लीन कर गया पता ही नहीं चला और उसने भी रेजिस्ट नहीं किया यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था कि बात अब एक तरफा तो नहीं रह गई थी तभी इंटरनेट स्लो हो गया और प्यार का पंचनामा फिल्म अधूरी रह गई खैर कानपुर आया मुझे बहुत तेज भूख लग रही थी और वह कुछ खाने वाली नहीं थी मैं जब खाना लेने गया तब अचानक ट्रेन चलती मैंने भागते हुए ट्रेन पकड़ी हाथ में खाना पानी की बोतल थी तभी याद आया कि फोन भी वहीं ट्रेन मैं हैं मैं सात डिब्बे पार करके वहां पहुंचा तो मैंने देखा है किसके चेहरे पर मायूसी उदासी छाई हुई थी क्योंकि उसको एक पल लगा कि मैं प्लेटफार्म पर ही ना रह जाऊं उसने मुझे कॉल भी किया लेकिन फोन तो वहीं साइड टेबल पर ही रखा था उसकी आंखों से छलकते आंसू हिस्सा बयां कर रहे थे कि वह मुझे लेकर कितनी सीरियस थी पहुंचते ही वह मुझे ऐसे डांटने लगी जैसे वह मेरी 1 साल पुरानी गर्लफ्रेंड हो फोन नहीं ले जा सकते थे क्या अगर ट्रेन छूट जाती तो मैंने कहा रिलैक्स छुटी तो नहीं है और अगर फोन छूट भी गया तो मुझे तो मेरे फोन के नंबर याद है मैं फोन कर देता किसी के भी फोन से आखिरकार मुझे उसको समझाने के लिए उसका हाथ पकड़ना पड़ा जो अविश्वसनीय अविस्मरणीय अनुभव था मुझे तो जैसे करंट ही लगा था 440 वोल्ट का फिर मैंने खाना खाया फिर वही सब्जेक्ट से रिलेटेड बातें हुई लखनऊ आने से पहले वो मेरी फेसबुक व्हाट्सएप फ्रेंड बन गई थी लेकिन जब मैंने कहा कि फ्री हो तो बात कर लेना उसने कहा ऐसी कोई बात नहीं है आपसे बात करके सफर अच्छा हुआ पर ऐसे ट्रेन में दो बात करने से कुछ नहीं होता वैसे भी मुझे मेरे कॉलेज में सब रॉन्ग नंबर कहकर बुलाते थे क्योंकि मैंने कभी किसी को भाव ही नहीं दिया मेरे दिल की जमीन खिसक गई पर मैंने अपने को संभालते हुए कहा कि अगर आप रॉन्ग नंबर हो तो मैं राइट नंबर हूं अब उस पगली को कौन समझाए कि दिल तो दिल है लव एट फर्स्ट साइट हमको हुआ है उसको थोड़ी ना कैसे समझती ट्रेन में मिले हमसफर से बिछड़ने का समय आ ही गया मतलब साहब लखनऊ आ ही गया नवाबों की नगरी स्टेशन से बाहर निकलते समय उसके पापाजी फोन किए उसको पर बैग में फोन होने के कारण पता ही नहीं चला पगली को और स्टेशन के बाहर हम साथ-साथ हैं तभी मैं आगे चल रहा था पीछे मुड़कर देखा तो पगली मेरे साथ नहीं किसी और के साथ खड़ी होकर बात कर रही थी वह थे उसके पापा जी आपने क्या सोचा √√√√√ सीधे-सीधे चलता गया और वह गाड़ी में बैठ कर कब फुर्र हो गई और हम उनसे ठीक से विदा भी नहीं ले पाए आज फिर से मैंने कोच d4 में सीट नंबर 27 और 25 बुक की है और मैं आज दिल्ली जा रहा हूं पर सीट नंबर 25 पर कोई नहीं है और मैं अपनी डायरी में यह सब क्यों लिख रहा हूं पता नहीं पर यह दिल आज भी 25 नंबर वाली आलिया के इंतजार में हैं जो मुझ से 1 साल छोटी है चलो डायरी अमित की तरफ से बाय बाय गुड नाइट अगर कुछ हुआ तो दिल का हाल कहने तुम्हारे पास ही आऊंगा सामने कोई नहीं पर याद तो है और गानों की खूब है ऑनलाइन कलेक्शन चलो इसको ही सुन लेते हैं एक मैं और एक तू यह जो तन मन में हो रहा है यह तो होना ही था दो अनजाने अजनबी चले बांधने बंधन हाय रे दिल की है धडकन मिलकर क्या बोले क्या बोले क्या बोले क्या बोले मेरे दिल का टेलीफोन करे रिंग रिंग रारा रिंग तूने मारी एंट्रियां रे में बजी घंटी यार टन टन टन टन दिल ने सच ही कहा था आलिया को कहीं देखा है मैंने शायद पुराने जन्म में बस इतनी सी थी यह कहानी writer RJ Pawan Kota https://kotarjpawan.blogspot.com
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